शालिग्राम भगवान्

April 23, 2018 KUNJ BIHARI JI (PICTURE) 0 Comments


Kunj Bihari Ji
shaligram ji

एक संत के पास बड़े सुंदर शालिग्राम भगवान् थे ! वे संत उन शालिग्राम जी को हमेशा साथ ही लिए रहते थे और बड़े प्रेम से उनकी पूजा अर्चना कर लाड़ लड़ाया करते थे !

एक बार ट्रेन से यात्रा करते समय बाबाजी ने शालिग्राम जी को अपनें बगल की सीट पर रख दिया और अन्य संतो के साथ हरि चर्चा में मग्न हो गए ! जब ट्रेन रुकी और सब संत उतरे तब वे सत्संग में इतनें मग्न हो चुके थे कि झोला गाङी में ही रह गया उसमें रखे शालिग्राम जी भी वहीं गाडी में रह गए ! संत सत्संग की मस्ती में भावौं में ऐसा बहे कि उन्हें साथ लेकर आना ही भूल गए ! बहुत देर बाद जब उस संत के आश्रम पर सब संत पहुंचे और भोजन प्रसाद पाने का समय आया तो उन प्रेमी संत ने अपने ठाकुर जी को खोजा और देखा की हाय हमारे शालिग्राम जी तो हैं ही नहीं !

संत बहुत व्याकुल हो गए, बहुत रोने लगे परंतु भगवान् मिले नहीं ! उन्होंने भगवान् के वियोग अन्न जल लेना स्वीकार नहीं किया ! संत बहुत व्याकुल होकर विरह में भगवान् को पुकार कर रोने लगे ! तब उनके एक पहचान के संत ने कहा - महाराज मै आपको बहुत सुंदर चिन्हों से अंकित नये शालिग्राम जी देता हूँ परंतु उन संत ने कहा की हमें अपने वही ठाकुर चाहिए जिनको हम अब तक लाड़ लड़ाते आये हैं ! उनके साथी ने पूछा - आपने उन्हें कहा रखा था ? मुझे तो लगता है गाडी में ही छूट गए होंगे !

एक संत बोले - अब कई घंटे बीत गए है ! गाडी से किसी ने निकाल लिए होंगे और फिर  गाडी भी बहुत आगे निकल चुकी होगी !

इस पर वह संत बोले - मैं स्टेशन मास्टर से बात करना चाहता हूँ वहाँ जाकर !

सब संत उन महात्मा को लेकर स्टेशन पहुंचे ! स्टेशन मास्टर से मिले और भगवान् के गुम होने की शिकायत करने लगे ! उन्होंने पूछा की कौन सी गाडी में आप आये थे ! संतो ने गाडी का नाम स्टेशन मास्टर को बताया तो वह कहने लगा - महाराज ! वो गाड़ी तो कई घंटे से यहीं खड़ी हो गई है, और किसी प्रकार भी आगे नहीं बढ़ रही है ! न कोई खराबी है न अन्य कोई दिक्कत, परंतु गाडी आगे ही नहीं बढ़ रही ! महात्मा जी बोले - अभी आगे बढ़ेगी, मेरे बिना मेरे प्यारे कही अन्यत्र कैसे चले जायेंगे ?

वे महात्मा ट्रेन के डिब्बे के अंदर गए और ठाकुर जी वहीं रखे हुए थे जहां महात्मा जी ने उन्हें पधराया था ! भगवान् को महात्मा ने गले लगाया और जैसे ही महात्मा जी उतरे, गाडी आगे बढ़ने लग गयी ! ट्रेन का चालक, स्टेशन मास्टर सभी आश्चर्य में पड गए और बाद में उन्होंने जब यह पूरी लीला सुनी तो वे गद्-गद् हो गए ! उन्होंने अपना बाकी जीवन संत और भगवान की सेवा में लगा दिया !

!! जय गुरूदेव !!

!! ऐसे करूणानिधान प्रभु की जय हो !!

भक्त जहाँ मम, पग धरे, तहाँ धरूँ मैं हाथ !
सदा संग लाग्यो फिरूँ, कबहूँ न छोडूँ साथ !!

!! हरि बोल !!

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