नंदा नाई (NANDA NAI)
Sri Sri Radha Raman Bihari Ji |
इतने कि आप सोच भी नहीं सकते !
आप गिन भी नहीं पाएंगे, इतने असंख्य भक्त हैं !
नाम कुछ गिना भी दें, पर सबकी अलग अलग कहानी है !
ऐसी ही कुछ अनसुनी भक्ति के वृतांत जो आपको कृष्ण को भक्तवत्सल मानने को मजबूर कर देंगे !
!! नंदा नाई !!
एक नाई जिसका नाम नंदा था ! वह एक कृष्ण भक्त था ! सुबह उठकर कृष्ण की सेवा करता ! उन्हें भोग लगाता ! कीर्तन करता ! फिर अपने काम पर निकलता था ! सबसे पहले राजा की हजामत करता था क्योंकि राजा को दरबार जाना होता था !
राजा की हजामत के बाद नंदा नगर के लिए निकलता था ! जहाँ उसे जीवन यापन के लिए अन्य साधन मिल जाते !
एक दिन कृष्ण सेवा के बाद कीर्तन करते करते नंदा कृष्ण के ध्यान में खो गया !
पत्नी ने देर होते देख और राजा के क्रोध की बात सोचकर नंदा को झंझोरते हुए कहा ! 'अजी सुनते हो' - राजा के दरबार में जाने का समय हो गया है ! राजा की हजामत करनी है अन्यथा राजा क्रोधित हो जायेंगे !
नंदा ने जल्दी जल्दी अपना सामान समेटा और महल की ओर दौड़ा ! जब वह महल पहुंचा तो वहां से राजा दरबार के लिए निकल रहे थे ! राजा ने नंदा को देखकर कहा अभी-अभी तो हजामत कर गये थे, क्या तुम्हे कोई परेशानी है, या किसी चीज आवश्यकता है ? नंदा ने कहा जी नहीं, मुझे लगा मैं शायद कुछ भूल गया हूँ ! लेकिन अंदर ही अंदर उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था !
शाम को नंदा फिर राजा के दरबार में अपनी उत्कंठा शांत करने के उद्देश्य से पहुंचा ! पर राजा की बात सुन कर चौंक गया !
राजा ने कहा - 'अरे नंदा आज तुम दो बार हजामत बनाओगे क्या' ?
सुबह जो तुमने हजामत बनाई और सेवा की उससे मैं अभी तक आनंदित हूँ ! आज तक इतना आनंद नहीं मिला ! ये सुन कर नंदा नाइ रो पड़ा और रोते हुए बोला - 'हे राजन आप बहुत भाग्यवान हैं ! मैं जिसकी भक्ति में दिन रात लगा रहता हूँ ! मेरे उस प्यारे ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए पर अपने भक्त की लाज बचाने के लिए स्वयं आपकी हजामत बना के चले गए ! मैं तो अभी आ रहा हूँ ! सुबह से प्रभु के ध्यान में था ! जब ध्यान टुटा तो आपके डर वश् अब आया हूँ !
और ये सोच कर शर्मिंदा हूँ कि भगवान ने मुझे बचाने के लिए खुद नाई का रूप धार लिया !
यह सुनकर पूरा दरबार भक्तिमय हो उठा और भक्त के आगे नतमस्तक हो गया और कह उठा -
"भक्तवत्सल भगवान की जय" !
!! श्री हरि !!
!! जय श्री राधे !!
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