Sri Sri Radha Raman Bihari Gaudiya Math - Satsang
Gaudiya Math
➤विश्व के सभी स्थानों में श्री धाम वृन्दावन का सर्वोच्च स्थान माना गया है।
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वृन्दावन का आध्यात्म अर्थ है - "वृन्दाया तुलस्या वनं वृन्दावनं"
तुलसी का विषेश वन होने के कारण इसे वृन्दावन कहते हैं।
वृन्दावन ब्रज का हृदय है जहाँ प्रिया-प्रियतम ने अपनी दिव्य लीलायें की हैं।
इस दिव्य भूमि की महिमा बड़े-बड़े तपस्वी भी नहीं समझ पाते।
ब्रह्मा जी का ज्ञान भी यहाँ के प्रेम के आगे फ़ीका पड़ जाता है।
वृन्दावन रसिकों की राजधानी है।
यहाँ के राजा श्यामसुन्दर और महारानी श्री राधिका जी हैं।
इसमें तनिक भी सन्देह नहीं है कि वृन्दावन का कण-कण रसमय है।
सभी धामों से ऊपर है ब्रज धाम और सभी तीर्थों से श्रेष्ठ है श्री वृन्दावन।
Hari bol |
इसकी महिमा का बखान करता एक प्रसंग -- 🔻
भगवान नारायण ने प्रयाग को तीर्थों का राजा बना दिया।
अतः सभी तीर्थ प्रयागराज को कर देने आते थे।
एक बार नारद जी ने प्रयागराज से पूँछा:- क्या वृन्दावन भी आपको कर देने आता है?तीर्थराज ने नकारात्मक उत्तर दिया।
तो नारद जी बोले:- फ़िर आप तीर्थराज कैसे हुए।
इस बात से दुखी होकर तीर्थराज भगवान के पास पहुँचे।
भगवान ने प्रयागराज के आने का कारण पूँछा।
तीर्थराज बोले:- प्रभु, आपने मुझे सभी तीर्थों का राजा बनाया है।
सभी तीर्थ मुझे कर देने आते हैं, लेकिन श्री वृन्दावन कभी कर देने नहीं आये।
अतः मेरा तीर्थराज होना अनुचित है।
भगवान ने प्रयागराज से कहा:- तीर्थराज, मैंने तुम्हें सभी तीर्थों का राजा बनाया है।
अपने निज गृह का नहीं। वृन्दावन मेरा घर है।
यह मेरी प्रिया श्री किशोरी जी की विहार स्थली है।
वहाँ की अधिपति तो वे ही हैं। मैं भी सदा वहीं निवास करता हूँ।
वह तो आप से भी ऊपर है।
एक बार अयोध्या जाओ,
दो बार द्वारिका,
तीन बार जाके त्रिवेणी में नहाओगे,
चार बार चित्रकूट,
नौ बार नासिक,
बार-बार जाके बद्रिनाथ घूम आओगे,
कोटि बार काशी,
केदारनाथ रामेश्वर, गया-जगन्नाथ चाहे जहाँ जाओगे,
होंगे प्रत्यक्ष जहाँ दर्शन श्याम श्यामा के,
वृन्दावन सा कहीं आनन्द नहीं पाओगे।
कोई भी अनुभव कर सकता है कि वृन्दावन की सीमा में प्रवेश करते ही
एक अदृश्य भाव,
एक अदृश्य शक्ति हृदय स्थल के अन्दर प्रवेश करती है
और वृन्दावन की परिधि छोड़ते ही यह दूर हो जाती है इसमें जो वास करता है,
भगवान की गोदी में ही वास करता है।
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