KUNJ BIHARI JI SHINGAR - AMINATION

March 16, 2018 KUNJ BIHARI JI (PICTURE) 0 Comments



हे कान्हा मोहें, बहुत सतावत तोरी अँखियाँ,
हे कान्हा मोहें, बहुत सतावत तोरी अँखियाँ I

Kunj
Kunj Bihari JI

चहुँ  दिस में कहुँ ठौर नाही मोहें ,
मोरे पीछे पीछे , आवत तोरी अँखियाँ  ,
हे कान्हा मोहें, बहुत सतावत तोरी अँखियाँ  I

Kunj
Kunj Bihari JI

मेरो मन मॊदिर में ऐसो बसो है ,
मोहे हर पल लुभावत  तोरी अँखियाँ  ,
हे कान्हा मोहें, बहुत सतावत तोरी अँखियाँ,

Kunj
Kunj Bihari JI

त्रिभुवन में नाही कोऊ है ऐसो   ,
जैसो तीर चलावत  तोरी अँखियाँ  ,
हे कान्हा मोहें, बहुत सतावत तोरी अँखियाँ  I

Kunj
Kunj Bihari JI

भवसागर में भटक रहा हूँ ,
काहे नाही , पार लगावत तोरी अँखियाँ ,
हे कान्हा मोहें, बहुत सतावत तोरी अँखियाँ  I

Kunj
Kunj Bihari JI



Kunj
Kunj Bihari JI




Kunj
Kunj Bihari JI




Kunj
Kunj Bihari JI




Kunj
Kunj Bihari JI




Kunj
Kunj Bihari JI

कैसे बन ठन कर खड़ा सांवरिया सेठ गिरधारी है
मोर मुकुट पीताम्बर ओढ़े कुंडल की छव न्यारी है
मनमोहन की मोहिनी छवी पर तन मन धन सब वारी है
तिरछे नैना करके विवेक के मारे जिगर कटारी है


एक या दो जन्म की नही
अपनी तो जन्म जन्म की यारी है
बलिहारी है बलिहारी है बलिहारी है

हरि हरि बौल प्यारे II

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