नंदा नाई (NANDA NAI)

April 10, 2018 KUNJ BIHARI JI (PICTURE) 0 Comments

Radha Raman
Sri Sri Radha Raman Bihari Ji
भगवान कृष्ण के अनगिनत भक्त हुए हैं !
इतने कि आप सोच भी नहीं सकते !
आप गिन भी नहीं पाएंगे, इतने असंख्य भक्त हैं !
नाम कुछ गिना भी दें, पर सबकी अलग अलग कहानी है !
ऐसी ही कुछ अनसुनी भक्ति के वृतांत जो आपको कृष्ण को भक्तवत्सल मानने को मजबूर कर देंगे !

!! नंदा  नाई !!

एक नाई  जिसका नाम  नंदा था ! वह  एक  कृष्ण  भक्त था ! सुबह  उठकर  कृष्ण  की  सेवा  करता ! उन्हें  भोग लगाता ! कीर्तन  करता !  फिर  अपने  काम  पर  निकलता था ! सबसे  पहले  राजा  की  हजामत  करता  था क्योंकि  राजा  को  दरबार  जाना  होता  था !

राजा  की  हजामत  के  बाद  नंदा नगर  के  लिए  निकलता था ! जहाँ उसे जीवन यापन के लिए अन्य साधन मिल जाते !

एक  दिन  कृष्ण  सेवा  के  बाद  कीर्तन  करते  करते नंदा कृष्ण के  ध्यान  में  खो  गया !

पत्नी  ने  देर  होते  देख  और  राजा  के  क्रोध  की  बात सोचकर  नंदा  को  झंझोरते  हुए कहा ! 'अजी  सुनते  हो' - राजा  के  दरबार  में जाने  का  समय  हो  गया  है ! राजा की  हजामत  करनी  है अन्यथा राजा  क्रोधित  हो  जायेंगे !

नंदा  ने  जल्दी जल्दी अपना  सामान समेटा और  महल  की ओर दौड़ा ! जब वह महल  पहुंचा तो वहां  से  राजा दरबार  के  लिए  निकल  रहे  थे ! राजा  ने  नंदा  को देखकर  कहा  अभी-अभी  तो  हजामत  कर  गये थे,  क्या  तुम्हे कोई  परेशानी  है, या  किसी  चीज  आवश्यकता  है ? नंदा  ने  कहा  जी  नहीं,  मुझे  लगा  मैं  शायद  कुछ  भूल गया हूँ ! लेकिन अंदर ही अंदर उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था !

शाम को नंदा फिर राजा के दरबार में अपनी उत्कंठा शांत करने के उद्देश्य से पहुंचा ! पर राजा की बात सुन कर चौंक गया !

राजा ने कहा - 'अरे नंदा आज तुम दो बार हजामत बनाओगे क्या' ?

सुबह जो तुमने हजामत बनाई और सेवा की उससे मैं अभी तक आनंदित हूँ ! आज तक इतना आनंद नहीं मिला ! ये सुन कर नंदा नाइ रो पड़ा और रोते हुए बोला - 'हे राजन आप बहुत भाग्यवान हैं ! मैं जिसकी भक्ति में दिन रात लगा रहता हूँ ! मेरे उस प्यारे ने मुझे कभी दर्शन नहीं दिए पर अपने भक्त की लाज बचाने के लिए स्वयं आपकी हजामत बना के चले गए ! मैं तो अभी आ रहा हूँ ! सुबह से प्रभु के ध्यान में था ! जब ध्यान टुटा तो आपके डर वश् अब आया हूँ !

और ये सोच कर शर्मिंदा हूँ कि भगवान ने मुझे बचाने के लिए खुद नाई का रूप धार लिया !

यह सुनकर पूरा दरबार भक्तिमय हो उठा और भक्त के आगे नतमस्तक हो गया और कह उठा -
"भक्तवत्सल भगवान की जय" !

   !! श्री हरि !!
 !! जय श्री राधे !!

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